आज का पंचांग | Aaj ki tithi kya hai | Today tithi in Hindi | Aaj Ka Panchang
Aaj ki tithi: हिंदू पंचांग के अनुसार, आज शनिवार, 15 मार्च 2025 को चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि है। यह दिन विशेष रूप से धार्मिक अनुष्ठानों और व्रतों के लिए महत्वपूर्ण है।
आइए जानते हैं आज का विस्तृत पंचांग, शुभ-अशुभ समय, राहुकाल और अन्य महत्वपूर्ण जानकारी।
आज की तिथि और नक्षत्र
- तिथि: कृष्ण पक्ष प्रतिपदा (दोपहर 02:33 PM तक) उपरांत द्वितीया।
- नक्षत्र: उत्तर फाल्गुनी (सुबह 08:54 AM तक) उपरांत हस्त।
- योग: गण्ड योग (दोपहर 01:59 PM तक) उसके बाद वृद्धि योग।
- करण: कौलव (दोपहर 02:33 PM तक), तत्पश्चात तैतिल।
शुभ और अशुभ समय
- अभिजीत मुहूर्त: दोपहर 12:12 PM से 12:59 PM तक।
- ब्रह्म मुहूर्त: प्रातः 05:02 AM से 05:50 AM तक।
- अमृत काल: प्रातः 05:02 AM से 06:49 AM तक।
- राहु काल: सुबह 09:37 AM से 11:06 AM तक (इस समय शुभ कार्य वर्जित)।
- यमगंड काल: दोपहर 02:04 PM से 03:33 PM तक।
- दुर्मुहूर्त: सुबह 08:14 AM से 09:01 AM तक।
- वर्ज्यम्: शाम 06:18 PM से 08:05 PM तक।
सूर्य और चंद्रमा की स्थिति
- सूर्योदय: सुबह 06:39 AM।
- सूर्यास्त: शाम 06:32 PM।
- चन्द्रोदय: रात 07:34 PM।
- चन्द्रास्त: अगली सुबह 07:32 AM।
- सूर्य राशि: मीन।
- चंद्र राशि: कन्या।
आज के विशेष व्रत और त्योहार
- गणगौर व्रत प्रारंभ – यह व्रत विशेष रूप से महिलाओं द्वारा सुख-समृद्धि और अखंड सौभाग्य की प्राप्ति के लिए रखा जाता है।
ऋतु और मास की जानकारी
- वैदिक ऋतु: शिशिर।
- द्रिक ऋतु: वसंत।
- अमांत मास: फाल्गुन।
- पूर्णिमांत मास: चैत्र।
- शक संवत: 1946 (क्रोधी संवत्सर)।
- विक्रम संवत: 2082।
आज के दिन की खास बातें
- शनिवार होने के कारण यह दिन भगवान शनिदेव की पूजा के लिए उत्तम माना जाता है।
- आज राहुकाल के समय किसी भी शुभ कार्य को करने से बचना चाहिए।
- अभिजीत मुहूर्त में नए कार्यों की शुरुआत करना शुभ रहेगा।
आज का दिन धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है। यदि आप कोई नया कार्य प्रारंभ करने की योजना बना रहे हैं, तो शुभ मुहूर्त का ध्यान रखें और राहुकाल से बचें।
(यह पंचांग सामान्य धार्मिक मान्यताओं पर आधारित है। किसी भी शुभ कार्य को करने से पहले अपने पंडित या ज्योतिषाचार्य से सलाह अवश्य लें।)
हिंदू पंचांग (Hindu Panchang) का विस्तृत परिचय
हिंदू कैलेंडर को वैदिक पंचांग के नाम से जाना जाता है। इसमें पांच अंग होते हैं— तिथि, नक्षत्र, वार, योग और करण। इन्हीं के आधार पर किसी भी दिन के शुभ मुहूर्त, राहुकाल, चौघड़िया आदि की गणना की जाती है।
पंचांग के पांच अंग – पंचांग क्या होता है?
1. तिथि
हिंदू कैलेंडर चंद्रमास पर आधारित होता है, जिसमें कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष नामक दो पक्ष होते हैं। प्रत्येक पक्ष 15-15 दिनों का होता है।
विक्रम संवत गणना के अनुसार, जब चंद्र रेखांक (चंद्रमा की स्थिति) सूर्य रेखांक से 12 अंश ऊपर जाती है, तो उसे एक तिथि माना जाता है।
तिथियों के क्रम:
प्रतिपदा, द्वितीया, तृतीया, चतुर्थी, पंचमी, षष्ठी, सप्तमी, अष्टमी, नवमी, दशमी, एकादशी, द्वादशी, त्रयोदशी, चतुर्दशी और अमावस्या/पूर्णिमा।
2. नक्षत्र
आकाश मंडल में स्थित तारों के समूह को नक्षत्र कहा जाता है। कुल 27 नक्षत्र होते हैं और इनका संबंध नौ ग्रहों से होता है।
27 नक्षत्रों के नाम:
अश्विनी, भरणी, कृत्तिका, रोहिणी, मृगशिरा, आर्द्रा, पुनर्वसु, पुष्य, आश्लेषा, मघा, पूर्वाफाल्गुनी, उत्तराफाल्गुनी, हस्त, चित्रा, स्वाति, विशाखा, अनुराधा, ज्येष्ठा, मूल, पूर्वाषाढ़ा, उत्तराषाढ़ा, श्रवण, घनिष्ठा, शतभिषा, पूर्वाभाद्रपद, उत्तराभाद्रपद और रेवती।
3. वार
हिंदू कैलेंडर में सात दिन होते हैं, जो सप्तवार के नाम से जाने जाते हैं।
सात वार के नाम:
रविवार, सोमवार, मंगलवार, बुधवार, गुरुवार, शुक्रवार और शनिवार।
4. योग
योग की संख्या भी 27 होती है। सूर्य और चंद्रमा की विशेष कोणीय दूरी की स्थिति को योग कहा जाता है।
27 योगों के नाम:
विष्कुम्भ, प्रीति, आयुष्मान, सौभाग्य, शोभन, अतिगण्ड, सुकर्मा, धृति, शूल, गण्ड, वृद्धि, ध्रुव, व्याघात, हर्षण, वज्र, सिद्धि, व्यातीपात, वरीयान, परिघ, शिव, सिद्ध, साध्य, शुभ, शुक्ल, ब्रह्म, इन्द्र और वैधृति।
5. करण
एक तिथि में दो करण होते हैं— एक तिथि के पूर्वार्ध में और एक उत्तरार्ध में। कुल 11 करण माने गए हैं।
करणों के नाम:
बव, बालव, कौलव, तैतिल, गर, वणिज, विष्टि, शकुनि, चतुष्पाद, नाग और किस्तुघ्न।
नोट: इस पंचांग की सभी गणनाएँ वाराणसी (काशी) शहर के अनुसार दी गई हैं।