Aaj Ka Panchang, 12 March 2025: हिंदू पंचांग के अनुसार, 12 मार्च 2025, मंगलवार को फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि है। यदि आप भी आज के दिन कोई शुभ कार्य की शुरुआत करना चाहते हैं तो यहां से आज का शुभ मुहूर्त और आज का राहुकाल अवश्य नोट कर लें।
तो आइए, सुप्रसिद्ध ज्योतिषाचार्य अमरेश त्रिपाठी से जानते हैं- आज का पंचांग (Aaj Ka Panchang) शुभ मुहूर्त, और आज की तिथि क्या है (Aaj ki tithi kya hai)?
आज का पंचांग: 12 मार्च 2025, बुधवार
📅 तारीख: 12 मार्च 2025, बुधवार
📜 विक्रम संवत: 2081 (पिंगल)
📜 शक संवत: 1946 (क्रोधी)
🌕 चंद्र मास: फाल्गुन (पूर्णिमांत और अमांत दोनों)
🌞 सूर्य राशि: कुंभ
🌙 चंद्र राशि: सिंह
तिथि और नक्षत्र
🔹 त्रयोदशी तिथि: 11 मार्च 08:14 AM – 12 मार्च 09:11 AM
🔹 चतुर्दशी तिथि: 12 मार्च 09:12 AM – 13 मार्च 10:36 AM
🔹 नक्षत्र:
मघा: 12 मार्च 02:15 AM – 13 मार्च 04:05 AM
पूर्व फाल्गुनी: 13 मार्च 04:05 AM – 14 मार्च 06:19 AM
योग और करण
✅ योग:
सुकर्मा योग: 11 मार्च 01:17 PM – 12 मार्च 12:59 PM
धृति योग: 12 मार्च 01:00 PM – 13 मार्च 01:02 PM
✅ करण:
तैतिल: 11 मार्च 08:39 PM – 12 मार्च 09:12 AM
गर: 12 मार्च 09:12 AM – 12 मार्च 09:51 PM
वणिज: 12 मार्च 09:51 PM – 13 मार्च 10:36 AM
सूर्योदय और चंद्रोदय का समय
🌅 सूर्योदय: 6:42 AM
🌇 सूर्यास्त: 6:30 PM
🌕 चंद्रोदय: 12 मार्च 5:01 PM
🌑 चंद्रास्त: 13 मार्च 6:03 AM
शुभ और अशुभ मुहूर्त
🔴 अशुभ समय:
राहुकाल: 12:36 PM – 02:05 PM
यम गण्ड: 08:10 AM – 09:39 AM
कुलिक काल: 11:08 AM – 12:36 PM
दुर्मुहूर्त: 12:12 PM – 01:00 PM
वर्ज्यम्: 03:10 PM – 04:53 PM
🟢 शुभ समय:
अमृत काल: 01:29 AM – 03:12 AM
ब्रह्म मुहूर्त: 05:05 AM – 05:53 AM
आज का विशेष महत्व
12 मार्च 2025 को फाल्गुन शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि है, जो भगवान शिव को समर्पित होती है। इस दिन शिव पूजन, महामृत्युंजय जाप और रुद्राभिषेक करने से विशेष पुण्य की प्राप्ति होती है। सिंह राशि में स्थित चंद्रमा के कारण मानसिक दृढ़ता और आत्मबल बढ़ाने का उत्तम समय है।
आइए, अब हिंदू पंचांग (Hindu Panchang) को विस्तार से समझ लेते हैं।
हिंदू कैलेंडर को वैदिक पंचांग के नाम से जाता है। इसके पांच अंग तिथि, नक्षत्र, वार, योग और करण प्रमुख हैं। जिसके आधार पर आज की तिथि (Today Tithi), शुभ मुहूर्त, राहुकाल और चौघड़िया आदि की गणना की जाती है।
पंचांग के पांच अंग (पंचांग क्या होता है)
1. तिथि
हिंदू कैलेंडर चंद्रमास पर आधारित है। जिसमें दो पक्ष कृष्ण और शुक्ल पक्ष होता है। यह 15-15 दिनों का होता है। विक्रम संवत गणना के अनुसार ‘चन्द्र रेखांक’ को ‘सूर्य रेखांक’ से 12 अंश ऊपर जाने के लिए जो समय लगता है, वह तिथि कहलाती है।
ये 15 तिथियां क्रमशः प्रतिपदा, द्वितीया, तृतीया, चतुर्थी, पंचमी, षष्ठी, सप्तमी, अष्टमी, नवमी, दशमी, एकादशी, द्वादशी, त्रयोदशी, चतुर्दशी और अमावस्या/पूर्णिमा है।
2. नक्षत्र
आकाश मंडल में एक तारा समूह को नक्षत्र कहा जाता है। इसमें 27 नक्षत्र होते हैं और नौ ग्रहों को इन नक्षत्रों का स्वामित्व प्राप्त है।
ये 27 नक्षत्र क्रमशः अश्विन नक्षत्र, भरणी नक्षत्र, कृत्तिका नक्षत्र, रोहिणी नक्षत्र, मृगशिरा नक्षत्र, आर्द्रा नक्षत्र, पुनर्वसु नक्षत्र, पुष्य नक्षत्र, आश्लेषा नक्षत्र, मघा नक्षत्र, पूर्वाफाल्गुनी नक्षत्र, उत्तराफाल्गुनी नक्षत्र, हस्त नक्षत्र, चित्रा नक्षत्र, स्वाति नक्षत्र, विशाखा नक्षत्र, अनुराधा नक्षत्र, ज्येष्ठा नक्षत्र, मूल नक्षत्र, पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र, उत्तराषाढ़ा नक्षत्र, श्रवण नक्षत्र, घनिष्ठा नक्षत्र, शतभिषा नक्षत्र, पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र, उत्तराभाद्रपद नक्षत्र और रेवती नक्षत्र हैं।
3. वार:
हिंदू कैलैंडर में वार का आशय दिन से है। अंग्रेजी और हिंदी दोनों कैलेंडर के सप्ताह में 7 दिन हैं।
ये 7 वार क्रमशः रविवार, सोमवार, मंगलवार, बुधवार, गुरुवार, शुक्रवार और शनिवार है।
4. योग:
नक्षत्र की तरह योग की संख्या भी 27 है। सूर्य-चंद्र की विशेष दूरियों की स्थितियों को योग कहा जाता है।
ये 27 योग क्रमशः विष्कुम्भ, प्रीति, आयुष्मान, सौभाग्य, शोभन, अतिगण्ड, सुकर्मा, धृति, शूल, गण्ड, वृद्धि, ध्रुव, व्याघात, हर्षण, वज्र, सिद्धि, व्यातीपात, वरीयान, परिघ, शिव, सिद्ध, साध्य, शुभ, शुक्ल, ब्रह्म, इन्द्र और वैधृति है।
5. करण:
हिंदू पंचांग के अनुसार एक तिथि में दो करण होते हैं। एक तिथि के पूर्वार्ध में और एक तिथि के उत्तरार्ध में, कुल 11 करण होते हैं।
ये 11 करण क्रमशः बव, बालव, कौलव, तैतिल, गर, वणिज, विष्टि, शकुनि, चतुष्पाद, नाग और किस्तुघ्न है।
Note- सभी मुहूर्त और पंचांग की जानकारी* वाराणसी (काशी) शहर के अनुसार दी गई है।