आज का पंचांग | Aaj ki tithi kya hai | Today tithi in Hindi
Aaj Ka Panchang: आज की तिथि 13 मार्च 2025, गुरुवार है। हिन्दू पंचांग के अनुसार यह फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि है, जो सुबह 10:36 AM तक रहेगी, इसके बाद पूर्णिमा तिथि शुरू होगी। आज होलिका दहन और पूर्णिमा व्रत का विशेष महत्व है। चंद्रमा सिंह राशि में रहेगा और शुभ कार्यों के लिए अभिजीत मुहूर्त सबसे उत्तम माना जाएगा।
यदि आप भी आज के दिन कोई शुभ कार्य की शुरुआत करना चाहते हैं तो यहां से आज का शुभ मुहूर्त और आज का राहुकाल अवश्य नोट कर लें।
आज का पंचांग – 13 मार्च 2025, गुरुवार
📅 तारीख: 13 मार्च 2025
📜 दिन: गुरुवार
📅 हिन्दू पंचांग: विक्रम संवत 2081 (पिंगल), शक संवत 1946 (क्रोधी)
🌙 माह: फाल्गुन (पूर्णिमांत और अमांत दोनों)
🕉️ पक्ष: शुक्ल पक्ष
📆 तिथि: चतुर्दशी (10:36 AM तक), इसके बाद पूर्णिमा
ग्रह-नक्षत्र और योग
⭐ नक्षत्र: पूर्व फाल्गुनी (06:19 AM तक), फिर उत्तर फाल्गुनी
🧘♂️ योग: धृति (01:02 PM तक), फिर शूल
🌓 चंद्रमा की स्थिति: सिंह राशि में संचार करेगा
☀️ सूर्य की स्थिति: कुंभ राशि में स्थित
शुभ मुहूर्त
✅ अभिजीत मुहूर्त: 12:12 PM – 12:59 PM
💫 अमृत काल: 11:18 PM – 01:03 AM
🌄 ब्रह्म मुहूर्त: 05:04 AM – 05:52 AM
अशुभ समय (दोषकाल)
⚠️ राहु काल: 02:05 PM – 03:33 PM
⚠️ यमगंड काल: 06:41 AM – 08:10 AM
⚠️ दुर्मुहूर्त: 10:37 AM – 11:25 AM, 03:21 PM – 04:09 PM
⚠️ वर्ज्यम्: 12:49 PM – 02:34 PM
त्यौहार और व्रत
🔥 होलिका दहन
🛑 होलाष्टक समाप्त
🙏 सत्य व्रत
🌕 पूर्णिमा व्रत
सूर्य और चंद्रमा का समय
🌞 सूर्योदय: 6:41 AM
🌇 सूर्यास्त: 6:31 PM
🌕 चन्द्रोदय: 5:54 PM
🌙 चन्द्रास्त: 6:33 AM (14 मार्च)
👉 विशेष: इस दिन होलिका दहन है, जो विशेष धार्मिक महत्व रखता है। पूर्णिमा व्रत भी इस दिन किया जाता है। शुभ कार्यों के लिए अभिजीत मुहूर्त को प्राथमिकता दें और राहुकाल में कोई महत्वपूर्ण कार्य न करें। 🚩
हिंदू पंचांग (Hindu Panchang) का विस्तृत परिचय
हिंदू कैलेंडर को वैदिक पंचांग के नाम से जाना जाता है। इसमें पांच अंग होते हैं— तिथि, नक्षत्र, वार, योग और करण। इन्हीं के आधार पर किसी भी दिन के शुभ मुहूर्त, राहुकाल, चौघड़िया आदि की गणना की जाती है।
पंचांग के पांच अंग – पंचांग क्या होता है?
1. तिथि
हिंदू कैलेंडर चंद्रमास पर आधारित होता है, जिसमें कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष नामक दो पक्ष होते हैं। प्रत्येक पक्ष 15-15 दिनों का होता है।
विक्रम संवत गणना के अनुसार, जब चंद्र रेखांक (चंद्रमा की स्थिति) सूर्य रेखांक से 12 अंश ऊपर जाती है, तो उसे एक तिथि माना जाता है।
तिथियों के क्रम:
प्रतिपदा, द्वितीया, तृतीया, चतुर्थी, पंचमी, षष्ठी, सप्तमी, अष्टमी, नवमी, दशमी, एकादशी, द्वादशी, त्रयोदशी, चतुर्दशी और अमावस्या/पूर्णिमा।
2. नक्षत्र
आकाश मंडल में स्थित तारों के समूह को नक्षत्र कहा जाता है। कुल 27 नक्षत्र होते हैं और इनका संबंध नौ ग्रहों से होता है।
27 नक्षत्रों के नाम:
अश्विनी, भरणी, कृत्तिका, रोहिणी, मृगशिरा, आर्द्रा, पुनर्वसु, पुष्य, आश्लेषा, मघा, पूर्वाफाल्गुनी, उत्तराफाल्गुनी, हस्त, चित्रा, स्वाति, विशाखा, अनुराधा, ज्येष्ठा, मूल, पूर्वाषाढ़ा, उत्तराषाढ़ा, श्रवण, घनिष्ठा, शतभिषा, पूर्वाभाद्रपद, उत्तराभाद्रपद और रेवती।
3. वार
हिंदू कैलेंडर में सात दिन होते हैं, जो सप्तवार के नाम से जाने जाते हैं।
सात वार के नाम:
रविवार, सोमवार, मंगलवार, बुधवार, गुरुवार, शुक्रवार और शनिवार।
4. योग
योग की संख्या भी 27 होती है। सूर्य और चंद्रमा की विशेष कोणीय दूरी की स्थिति को योग कहा जाता है।
27 योगों के नाम:
विष्कुम्भ, प्रीति, आयुष्मान, सौभाग्य, शोभन, अतिगण्ड, सुकर्मा, धृति, शूल, गण्ड, वृद्धि, ध्रुव, व्याघात, हर्षण, वज्र, सिद्धि, व्यातीपात, वरीयान, परिघ, शिव, सिद्ध, साध्य, शुभ, शुक्ल, ब्रह्म, इन्द्र और वैधृति।
5. करण
एक तिथि में दो करण होते हैं— एक तिथि के पूर्वार्ध में और एक उत्तरार्ध में। कुल 11 करण माने गए हैं।
करणों के नाम:
बव, बालव, कौलव, तैतिल, गर, वणिज, विष्टि, शकुनि, चतुष्पाद, नाग और किस्तुघ्न।
नोट: इस पंचांग की सभी गणनाएँ वाराणसी (काशी) शहर के अनुसार दी गई हैं।