आज का पंचांग | Aaj ki tithi kya hai | Today tithi in Hindi
Aaj Ka Panchang, 14 मार्च 2025, शुक्रवार: हिन्दू पंचांग के अनुसार, आज फाल्गुन शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि है, जो दोपहर 12:24 बजे तक रहेगी, इसके बाद प्रतिपदा तिथि प्रारंभ होगी। यह दिन धार्मिक दृष्टिकोण से अत्यंत महत्वपूर्ण है, क्योंकि आज होली का पर्व मनाया जाएगा। सभी पाठकों को होली की हार्दिक शुभकामनाएँ!
आज का पंचांग, 14 मार्च 2025
- तिथि: पूर्णिमा (दोपहर 12:24 बजे तक), इसके बाद प्रतिपदा।
- नक्षत्र: उत्तर फाल्गुनी (सुबह 6:19 बजे तक), इसके बाद हस्त।
- योग: शूल (दोपहर 1:23 बजे तक), इसके बाद गण्ड।
- करण: बव (दोपहर 12:24 बजे तक), इसके बाद बालव।
- वार: शुक्रवार
सूर्योदय और सूर्यास्त:
- सूर्योदय: सुबह 6:40 बजे।
- सूर्यास्त: शाम 6:31 बजे।
चंद्रोदय और चंद्रास्त:
- चंद्रोदय: शाम 6:44 बजे।
- चंद्रास्त: सुबह 7:03 बजे।
आज का शुभ मुहूर्त:
- अभिजीत मुहूर्त: दोपहर 12:12 बजे से 12:59 बजे तक।
- ब्रह्म मुहूर्त: सुबह 5:03 बजे से 5:51 बजे तक।
- अमृत काल: रात 12:54 बजे से 2:40 बजे तक।
अशुभ समय (दोष काल):
- राहुकाल: सुबह 11:07 बजे से दोपहर 12:36 बजे तक।
- यमगंड काल: दोपहर 3:33 बजे से शाम 5:02 बजे तक।
- दुर्मुहूर्त: सुबह 9:02 बजे से 9:50 बजे तक, और दोपहर 12:59 बजे से 1:47 बजे तक।
- वर्ज्यम्: दोपहर 2:17 बजे से 4:03 बजे तक।
ग्रह स्थिति:
- सूर्य राशि: कुंभ (शाम 6:50 बजे तक), इसके बाद मीन राशि में प्रवेश।
- चंद्र राशि: सिंह (दोपहर 12:56 बजे तक), इसके बाद कन्या राशि में प्रवेश।
आज के प्रमुख व्रत एवं त्यौहार:
- होली: रंगों का प्रमुख भारतीय पर्व, जो बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है।
- चैतन्य महाप्रभु जयंती: भक्तिकाल के महान संत श्री चैतन्य महाप्रभु की जयंती।
- मीन संक्रांति: सूर्य के मीन राशि में प्रवेश का पर्व।
विशेष जानकारी: आज पूर्णिमा के दिन पूर्ण चंद्रग्रहण होगा, जो भारत में दृश्य होगा। यह ग्रहण शाम 6:25 बजे से रात 8:48 बजे तक रहेगा। ग्रहण के दौरान धार्मिक कार्यों और भोजन से परहेज करने की परंपरा है।
हिंदू पंचांग (Hindu Panchang) का विस्तृत परिचय
हिंदू कैलेंडर को वैदिक पंचांग के नाम से जाना जाता है। इसमें पांच अंग होते हैं— तिथि, नक्षत्र, वार, योग और करण। इन्हीं के आधार पर किसी भी दिन के शुभ मुहूर्त, राहुकाल, चौघड़िया आदि की गणना की जाती है।
पंचांग के पांच अंग – पंचांग क्या होता है?
1. तिथि
हिंदू कैलेंडर चंद्रमास पर आधारित होता है, जिसमें कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष नामक दो पक्ष होते हैं। प्रत्येक पक्ष 15-15 दिनों का होता है।
विक्रम संवत गणना के अनुसार, जब चंद्र रेखांक (चंद्रमा की स्थिति) सूर्य रेखांक से 12 अंश ऊपर जाती है, तो उसे एक तिथि माना जाता है।
तिथियों के क्रम:
प्रतिपदा, द्वितीया, तृतीया, चतुर्थी, पंचमी, षष्ठी, सप्तमी, अष्टमी, नवमी, दशमी, एकादशी, द्वादशी, त्रयोदशी, चतुर्दशी और अमावस्या/पूर्णिमा।
2. नक्षत्र
आकाश मंडल में स्थित तारों के समूह को नक्षत्र कहा जाता है। कुल 27 नक्षत्र होते हैं और इनका संबंध नौ ग्रहों से होता है।
27 नक्षत्रों के नाम:
अश्विनी, भरणी, कृत्तिका, रोहिणी, मृगशिरा, आर्द्रा, पुनर्वसु, पुष्य, आश्लेषा, मघा, पूर्वाफाल्गुनी, उत्तराफाल्गुनी, हस्त, चित्रा, स्वाति, विशाखा, अनुराधा, ज्येष्ठा, मूल, पूर्वाषाढ़ा, उत्तराषाढ़ा, श्रवण, घनिष्ठा, शतभिषा, पूर्वाभाद्रपद, उत्तराभाद्रपद और रेवती।
3. वार
हिंदू कैलेंडर में सात दिन होते हैं, जो सप्तवार के नाम से जाने जाते हैं।
सात वार के नाम:
रविवार, सोमवार, मंगलवार, बुधवार, गुरुवार, शुक्रवार और शनिवार।
4. योग
योग की संख्या भी 27 होती है। सूर्य और चंद्रमा की विशेष कोणीय दूरी की स्थिति को योग कहा जाता है।
27 योगों के नाम:
विष्कुम्भ, प्रीति, आयुष्मान, सौभाग्य, शोभन, अतिगण्ड, सुकर्मा, धृति, शूल, गण्ड, वृद्धि, ध्रुव, व्याघात, हर्षण, वज्र, सिद्धि, व्यातीपात, वरीयान, परिघ, शिव, सिद्ध, साध्य, शुभ, शुक्ल, ब्रह्म, इन्द्र और वैधृति।
5. करण
एक तिथि में दो करण होते हैं— एक तिथि के पूर्वार्ध में और एक उत्तरार्ध में। कुल 11 करण माने गए हैं।
करणों के नाम:
बव, बालव, कौलव, तैतिल, गर, वणिज, विष्टि, शकुनि, चतुष्पाद, नाग और किस्तुघ्न।
नोट: इस पंचांग की सभी गणनाएँ वाराणसी (काशी) शहर के अनुसार दी गई हैं।